Lyrics
शर्म हटा दे जो सब गिरा ले आँखों पे
प्यास मिटा दे वो नमी चुरा ले होंटों से
मैं जलती रातें तेरी तू वो सुबह जो बुझा दे बुझा दे
भीग लूँ, भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में
भीग लूँ भीग लूँ, भीग लूँ, आज मैं
तेरी बारिश में भीग लूँ
आ होंटों पे ख्वाहिश तू बुन ले
बाकी जो हसरत वो चुन ले
बिखरे हैं जो कतरे मेरे
हो हाँ तन से तन उलझाले ज़रा
फिर से मन सुलगा ले ज़रा
चखने तो दे टुकड़े तेरे
मैं जलती रातें तेरी
तू वो सुबह जो बुझा दे जो बुझा दे
भीग लूँ, भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में
भीग लूँ भीग लूँ आज मैं
तेरी बारिश में भीग लूँ
हा हा हा हा हा ह हा हा
हा हा हा हा हा ह हा हा
आ ये रातें लम्बी तू कर दे
चिंगारी रग-रग में भर दे
शर्मो से तू शर्मो हाया
हो हाँ रख ले तू लब को लब पे
मैं गुज़रूं मेरी हदों से
ठहरुं कहाँ कुछ तो बता
मैं जलती रातें तेरी
तू वो सुबह जो बुझा दे
भीग लूँ, भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में
भीग लूँ भीग लूँ
आज मैं तेरी बारिश में भीग लूँ
आ आआ आ आ आआ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ
हा हा हा हा हा ह हा हा
हा हा हा हा हा ह हा हा
आ आआ आ आ आआ आ
ABHENDRA KUMAR UPADHYAY, ANKIT TIWARI
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