Lyrics
दो दिल सफ़र में निकल पड़े
जाना कहाँ क्यूँ फ़िकर करें
कहाँ ठिकाना हो रात का
सुबह कहाँ पे बशर करें
खोया खोया दिल मेरा कहता है
हाँ तुम से ही बस तुम से ही
मेरी जान है बस तुम से ही
दिल को मेरे आराम है
परेशान है बस तुम से ही
ऐऐऐ
ओ ओ ओ
जो दर्द को सुकून दे
वो दर्द तुम से मिलता है
ऐ दिल ज़रा इतना बता
क्यूँ इश्क़ उन से होता है
साँसों को अब जीने का
जैसे सहारा मिल गया
खोया खोया दिल मेरा कहता है
हम्मम तुम से ही बस तुम से ही
मेरी जान है बस तुमसे ही
दिल को मेरे आराम है
परेशान है बस तुम से ही
आशिक़ी होती है क्या
दिल को मेरे मालूम न था
एक भी तेरी तरह
चेहरा कोयी मासूम न था
हो यूँ लगा इस जान में
एक जान से दो खिल गए
अब तो हर लम्हा मुझसे कहता है
हाँ हाँ तुम से ही बस तुम से ही
मेरी जान है बस तुमसे ही
दिल को मेरे आराम है
परेशान है बस तुम से ही
तुम से ही
वो हो ओ आये
शब्बीर अहमद
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