Lyrics
दुनिया तो ये कहते है इंसानों कहाँ है
इंसान ये कहता हे के भगवान कहा है
इंसान ये कहता हे के भगवान कहा है
भगवान, भगवान
इंसान ने इंसान पे क्या ज़ुल्म किया है
अपना ही लहू था जिसे हंस हंस के पिया है
बिछड़े हुए माओ से ये आँखो के उजाले
बिछड़े हुए माओ से ये आँखो के उजाले
झूलो से निकल कर हुए कांटो के हवाले
भगवान, भगवान
इस देश की वो देवियाँ नंगी हुई तन से
उठ उठ के निकलती थी जो सूरज के किरण से
मंदिर मे ना भक्ति है, ना मस्जिद मे अदा है
आवाज़ दे सोए हुए भगवान कहा है
भगवान, भगवान
मंज़िल है कहाँ इनकी की कहा जाए ये रही
है छाई हुई राह मे किस्मत की स्याही
फुलो को तरसते है जो रहते थे चमन मे
बेगाने हुए आज ये अपने ही वतन मे
भगवान जो तू है तो बता इनको ठिकाना
वरना तुझे भगवान कहेगा ना ज़माना
भगवान, भगवान
Rajinder Krishnan, Shyamsunder
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