आ आ आ आ
हो अल बरी
तेरा आदम मुझको
दिखलावे की चीज़ बनाये
क्यों मुझको मेरे जिस्म से आगे
समझ ना पाए
हो अल वली
बोलो ऐसा क्यूँ है मुझसे
पैदा हुआ है जो वो
हर पल हर दम
मुझको कमज़ोर बताये
जो थी तेरे वजूद पे दुनिया
बैठी है बारूद पे दुनिया
मूल तो सब को भूल गया है
जीती है अब सूद पे दुनिया(जीती है अब सूद पे दुनिया)
सारे कायदें किताबें भूल गए
मिट्टी में सारे फूल गए
मुझको में कोई बात नहीं
कोई औकात नहीं
तू ही तो है शान मेरी
तू ही है गुरूर
क्यूँ दूर तेरा नूर
ज़िक्र ए लाही का जब है मुझको सुरूर
उल्फत के बिन कहाँ रिहाई
बात किसीको समझ ना आई
फिर भी सबको समझ बाटता
इस दुनिया में हर सौदाई
जिंदा जज़्बात नहीं
हक में हालात नहीं
मानूंगी ना हार मुझे है फ़तेह का फितूर
क्यूँ दूर तेरा नूर
ज़िक्र ए लाही का जब है मुझको सुरूर
क्यूँ दूर तेरा नूर (सा रे ग म प नि सा रे)