Lyrics
रोज़ रोज़ की यह बात है
लिखता हूँ मैं एक कहानी
जिस में एक तुम हो
और वह यादें पुरानी
रोज़ रोज़ छुपके मिलना
शहर में लूर लूर फिरना
घर आते ही तुम्हारी सोच
में डूब जाना
याद है क्या तुम को
वह दिन जब हम
मर मिटे थे इक दूजे पे
वही तो था हमारा पहला प्यार
पहला पहला प्यार
रोज़ रोज़ की वह आदत
तुम्हारी मीठीसी मुस्कराहट
मासूमियत में
लिपटा हुआ चेहरा
कैसे भुला पाता मैं वह सब
रोज़ रोज़ की यह सोच है
जब तू आ जायेगी
उस दिन की तरह इस
टूटे दिल को बहलायेगि
याद है क्या तुम को
वह दिन जब हम
मर मिटे थे इक दूजे पे
वही तो था हमारा पहला प्यार
पहला पहला प्यार
पहला पहला प्यार
पहला पहला प्यार
रोज़ रोज़ के यह हालात हैं
सुबह शाम लिए फिरता हूँ
उन यादों को
उन्हीं यादों में
हँसता खेलता रहता हूँ
रोज़ रोज़ की यह ज़िंदगानी
अब है या नहीं
गुज़र जाए गा यह वक़्त भी
इन यादों के सहारे
याद है क्या तुम को
वह दिन जब हम
मर मिटे थे इक दूजे पे
वही तो था हमारा पहला प्यार
पहला पहला प्यार
पहला पहला प्यार
पहला पहला प्यार
Jimmy Khan
Reservoir Media Management, Inc.