Lyrics
हो हो हो
हो मेरा सज्जन तब बनता हे
थोड़ा रेशम लगता है, हो थोड़ा शीशा लगता है
हीरे मोटी जड़ते हैं, थोड़ा सोना लगता है
थोड़ा रेशम लगता है, थोड़ा शीशा लगता है
हीरे मोटी जड़ते हैं, थोड़ा सोना लगता है
ओ, दिल को प्यार का रोग लगाके ज़ख़्म बनाने पड़ते है
खून-ए-जिगर से अरमानों के फूल खिलाने पड़ते है
दिल को प्यार का रोग लगाके ज़ख़्म बनाने पड़ते है
खून-ए-जिगर से अरमानों के फूल खिलाने पड़ते है
कलियों का चमन तब बनता है
थोड़ा रेशम लगता है, थोड़ा शीशा लगता है
हीरे मोटी जड़ते हैं, तोड़ा सोना लगता है
ऐसा गोरा बदन तब बनता है
थोड़ा रेशम लगता है, थोड़ा शीशा लगता है
ओ हो, ओ ओ
ANAND BAKSHI, BAPPI LAHIRI
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