नहीं
Farooq Farooq
ओ मेरी महबूबा महबूबा महबूबा
तुझे जाना है तो जा तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
पर देख तू जो रूठ कर चली जाएगी
तेरे साथ ही मेरे मरने की ख़बर जाएगी
ओ मेरी महबूबा महबूबा महबूबा
तुझे जाना है तो जा तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
पर देख तू जो रूठ कर चली जाएगी
तेरे साथ ही मेरे मरने की ख़बर जाएगी
ओ मेरी महबूबा महबूबा महबूबा
तुझे जाना है तो जा तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
जो भी हो मेरी इस प्रेम कहानी का
जो भी हो मेरी इस प्रेम कहानी का
पर क्या होगा तेरी मस्त जवानी का
आशिक़ हूँ मैं तेरे दिल में रहता हूँ
अपनी नहीं मैं तेरे दिल की कहता हूँ
तौबा तौबा फिर क्या होगा
के बाद में तू इक रोज़ पछताएगी
ये रुत प्यार की जुदाई में ही गुज़र जाएगी
ओ मेरी महबूबा महबूबा महबूबा
तुझे जाना है तो जा तेरी मर्ज़ी मेरा क्या
पर देख तू जो रूठ कर चली जाएगी
तेरे साथ ही मेरे मरने की ख़बर जाएगी