जिंदगी है धूआं तो क्या
बुझ गई हर सूबा तो क्या
रूठा मुझसे खुदा तो क्या
हो गए हम जुदा तो क्या
फासले द हज़ारों दरमियान
वक़्त के हज़ारों इम्तेहान
फिर भी बन के निशान
तेरे होठों के किसी कोने में
हसी की तरह मैं महफूज हूं
तेरी आँखों के
छिपे दर्द में अंशु की तराह
मैं महफूज हूं महफूज हूं
बेवजाह हर वजाह तो क्या
बेगुनाही है गुना तो क्या
ब्यासर है दुआ तो क्या
हो गए हम जुदा तो क्या
राज़ गेहरे हज़ारों
बेपनाह लफ्ज थेहरे हजारो
बेजुबान फिर भी बन के निशान
तेरे होने के किसी कोने में
हसी की तरह मैं महफूज हूं
तेरे गेसु के मुदे पन्नों पे
यादों की तराही
महफूज हूं तेरी आंखों में
महफूज हूं तेरी यादों में
महफूज हूं तेरी बातों में
महफूज हूं तेरे बालो में
फासले द हज़ारों दरमियान
वक़्त की थी हज़ारों आंधियां
फिर भी बन के निशान
तेरे होठों के किसी कोने में
हसी के तराह मैं महफूज हूं
तेरे कांधे के छिपे तिल में
वादे की तरह महफूज हूं
तेरे होठों के किसी कोने में
हसी की तरह मैं महफूज हूं
तेरी आँखों के छिपे दर्द में
आंसुओ की तरह