Lyrics
मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे
पगलेपन की पीड़ वो जाने
बिछड़े जिसका मीत रे
मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे मैं पागल
कहे ये दुनिया मैं दीवाना
दिन में देखूँ सपने
दीवानी दुनिया क्या जाने
दीवानी दुनिया क्या जाने
ये सपने हैं अपने
ये सपने हैं अपने
घायल मन की हंसी उड़ाये
ये दुनिया की रीत रे, मैं पागल
छुपी हुई मेरी काया में
राख किसी परवाने की
छुपी हुई मेरी काया में
राख किसी परवाने की
ये मेरा दुखिया जीवन है
रूह किसी दीवाने की
मन के टूटे तार बजाकर
गाऊँ अपने गीत रे
मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे, मैं पागल
Madan Mohan, Rajinder Krishnan
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