Lyrics
नैन द्वार से मन में वह आके तन में आग लगाए
नैन द्वार से मन में वह आके तन में आग लगाए
पागल मन के पागल बाते कौन इसे समझाए
खुद ही बैठा रोग लगाए खुद ही नीर बहाए
ना सोए ना सोने दे ये सारी रात जगाए
नैन द्वार से मन में वह आके
Hansraj Behl, Prem Dhawan
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