कितनी बातें याद आती है
तस्वीरें सी बन जाती हैं
मैं कैसे इन्हें भूलूँ
दिल को क्या समझाऊ
कितनी बातें कहने की है
होंठो पर जो सहमी सी है
इक रोज़ इन्हें सुन लो
क्यूँ ऐसे गुम सूम हो
क्यूँ पूरी हो ना पाई दास्तान
कैसे आई है ऐसी दूरियाँ
दोनो के दिलों में सवाल है
फिर भी है खामोशी
तो कौन है किसका दोषी
कोई क्या कहे
कैसी है ये उल्झानो के ये जाल है
जिन मै उल्झे है दिल
अब होना है क्या हासिल
कोई क्या कहे
दिल कि है कैसी मजबूरीयाँ
खोये थे कैसे राहो के निशाण
कैसे आयी है ऐसी दुरीयाँ
कितनी बातें कहने की है
होंठो पर जो सहमी सी है
इक रोज़ इन्हें सुन लो
क्यूँ ऐसे गुम सूम हो
कितनी बातें याद आती है
तस्वीरें सी बन जाती हैं
मैं कैसे इन्हें भूलूँ
दिल को क्या समझाऊ